क्यों होता है कुछ ही रंगों का आपकी ट्रेन का डिब्बा?, जानें- इस पर लगे निशान क्या कहते हैं
Publish Date:Sun, 01 Jul 2018 11:36 PM (IST)


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लेकिन क्या कभी इस तरफ आपका ध्यान गया है कि जिन ट्रेनों में आप सफर
करते हैं उनका रंग नीला, लाल और हरा क्यों होता है। अगर नहीं तो आपको ये
जरुर जानना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पटरियों पर दौड़ने वाली
इन ट्रेनों का रंग यूं ही नहीं तय किया जाता है इसके पीछे कुछ विशेष कारण
होते हैं। कोच की डिजाइन और उनकी अलग-अलग विशेषताओं के आधार पर उनके रंग तय
किये जाते हैं। आज आपको बताते हैं इन ट्रेनों को लेकर इन्ही जानकारियों के
बारे में...

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में दो तरह की कोच वाली ट्रेनें चलती हैं एक है आइसीएफ कोच जिसका मतलब होता है इंटीग्रल कोच फैक्ट्री जो चेन्नई में स्थित है। आइसीएफ कोच की स्पीड 70 से 140 किमी प्रति घंटा होती है। इनके कोच मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में लगाए जाते हैं। चेन्नई स्थित आइसीएफ की स्थापना 1952 में की गई थी। ये फैक्ट्री भारतीय रेलवे के अधीन काम करती है, यहां हर तरह के कोच बनाए जाते हैं जिसमें एसी, स्लीपर, जनरल, डेमू और मेमू कोच शामिल हैं।

नीला रंग- आपने देखा होगा कि अधिकतर ट्रेनों का रंग नीला होता है। बता दें कि 90 के दशक में सभी भूरे लाल रंग के ट्रेनों को बदल कर निला कर दिया गया था।
हरे रंग के ट्रेन- गरीब रथ के ट्रेन में हरे रंग के कोच का उपयोग किया जाता है। आपने देखा होगा कि भारतीय रेल ने जितनी भी गरीब रथ ट्रेनों की शुरुआत की है उन सभी का रंग हरा होता है।
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भूरे रंग के ट्रेन- आपको बता दें कि मीट गेज वाली ट्रेनों में भूरे रंग के कोच का उपयोग होता है।
सफेद-लाल-नीले रंग की ट्रेन- इन रंगों के अलावा कभी-आपने पटरियों पर सफेद-नीले या सफेद-लाल रंग के ट्रेनों को भी देखा होगा। इनके संबंध में आपको बता दें कि कुछ रेलवे जोन ने अपने स्वयं के रंगों को नामित किया है, जैसे कि केंद्रीय रेलवे की कुछ ट्रेनें सफेद-लाल-नीली रंग योजना का पालन करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दूरंतो कोच का रंग पीला और हरा है जो कि ममता बनर्जी की एक पेंटिंग से प्रेरित है।
ट्रेन के कोच पर अलग-अलग रंग की धारियों का क्या है मतलब
अकसर ट्रेन में सफर करते वक्त आपने रंगीन कोचों के साथ किसी-किसी ट्रेनों के कोचों पर बनी अलग-अलग रंग की धारियों को भी देखा होगा जैसे कि पीली या सफेद इत्यादि। क्या आपने कभी सोचा है कि ये रंगीन कोच पर बनी धारियां क्या दर्शाती हैं। हमारे भारतीय रेलवे में बहुत सारी चीजों को समझाने के लिए एक विशेष प्रकार के सिंबल का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि ट्रैक के किनारे बने सिंबल, प्लेटफार्म पे सिंबल।
-ब्लू (blue) रंग के ICF कोच पर कोच के अंत में खिड़की के ऊपर पीली या सफेद कलर की लाइनों या धारियों को लगाया जाता है जो कि वास्तव में इस कोच को अन्य कोच से अलग करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये लाइनें द्वितीय श्रेणी के अनारक्षित कोच को इंगित करते हैं।

-जब स्टेशन पर ट्रेन आती है तो बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनकों इस बात की उलझन होती है कि जनरल डिब्बा कौन सा है, वैसे लोग इस पीली रंग की धारी को देख कर आसानी से समझ सकें की यही जनरल कोच है।
-इसी प्रकार नीले/लाल पर ब्रॉड पीली रंग की धारियां विकलांग और बीमार लोगों के कोच के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
-इसी प्रकार ग्रे पर हरी धारियों वाले सिंबल का मतलब है यह कोच केवल महिलाओं के लिए है। वहीं ग्रे रंग पे लाल रंग की धारी फर्स्ट क्लास के कोच को इंगित करती हैं।
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