वो पिछली बार अगवा की गई थी तब 4 महीने हुआ था रेप, अब क्या होगा?
बिहार के एक छोटे शहर की लड़की की कहानी जो पिछले साल पढ़ाई के लिए पटना गई थी, लेकिन कॉलेज पहुंचने से पहले उसका अपहरण कर लिया गया और 4 महीनों की यातना के बाद वह भागकर घर पहुंची. इस लड़की के साथ यही कहानी दोहराई जा रही है.
Bhavesh Saxena
Updated: July 19, 2018, 8:01 PM IST
दोस्त जन्म से तो मिल नहीं जाते, किसी अजनबी से
मुलाकात होती है और बातचीत के बाद दोस्ती हो जाती है. भारती भी जब ट्रेन
में रमाशंकर से मिली तो उसे बातचीत करने के बाद लगा कि दोस्ती हो सकती है.
अनुभव की कमी, गलत परख या बुरी किस्मत जो भी था, भारती दोस्ती के परदे में
बिछे एक जाल में फंसी और उसकी ज़िंदगी ने ऐसा मोड़ लिया जो भारती की मौत तक
भी पहुंच सकता है.Updated: July 19, 2018, 8:01 PM IST
बिहार के छोटे से शहर बेतिया में रहने वाली भारती के सपने बड़े थे. वह पढ़ लिखकर कुछ करना चाहती थी. आसपास की और लड़कियों की तरह पढ़ाई छोड़कर, शादी कर लेना और फिर कम उम्र में ही बच्चे पैदा करना उसकी ज़िंदगी का मकसद कभी नहीं था. उसने जब और पढ़ने की ख्वाहिश परिवार में ज़ाहिर की तो उसके बड़े भाई प्रेम ने उसका साथ दिया. कुछ ही दिनों भारती के मां-बाप राज़ी हो गए और अब भारती ने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद कॉलेज छांटना शुरू किया.
बिहार की राजधानी पटना के एक कॉलेज से डिग्री लेने का इरादा भारती ने बनाया और अपने घर में बताया. पटना में कुछ रिश्तेदार थे और भारती की यह बात भी उसके परिवार ने मान ली. सब कुछ तय हो गया और भारती के पटना जाने का दिन आ गया. साल 2017 के अगस्त महीने में भारती ट्रेन से पटना जा रही थी. ट्रेन में उसकी मुलाकात एक लड़के से हुई जिसका नाम रमाशंकर था. रमा की बातें दिलचस्प थीं और वह पटना के बारे में काफी जानकारी रखता था.
बातों-बातों में भारती को यकीन हो गया था कि रमा एक अच्छा और शरीफ लड़का है और यह भी महसूस हुआ कि रमा पटना में उसकी कई तरह से मदद भी कर सकता है. ट्रेन के सफर में हुई जान-पहचान इतनी आगे तो बढ़ ही गई कि दोनों ने एक-दूसरे के मोबाइल नंबर ले लिये और पटना में कॉंटेक्ट में रहने का करार कर लिया. पटना पहुंचकर भारती ने एक कॉलेज में एडमिशन के लिए फॉर्म भरने जैसे कामकाज करना शुरू किए तो उसे पता चला कि एडमिशन होने में कुछ दिनों का वक्त लगेगा.
थोड़ा वक्त वह अपनी पढ़ाई और किताबों की व्यवस्था करने में गुज़ारती तो रोज़ थोड़ा वक्त घर में. फिर एक दिन उसके नंबर पर रमाशंकर का फोन आया और उसने हाल चाल पूछने के बाद भारती के एडमिशन के बारे में पूछा और कहा कि वह कोई मदद कर सकता हो तो भारती बेहिचक कहे. इसी तरह दोनों की बातें होने लगीं और दो-चार दिन बाद ही रमाशंकर ने भारती को मिलने के लिए बुलाया. इस बीच, भारती अपने भाई से अक्सर बातचीत किया करती थी और रमाशंकर के बारे में भी भाई को उसने बताया था. भारती उससे बातचीत करने में कम्फर्टेबल हो चुकी थी इसलिए वह मिलने गई. बस यही भारती की गलती थी.
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