चीन को मलेशिया ने दिया झटका, अरबों की परियोजनाएं रद्द

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मलेशिया ने चीन को एक बड़ा झटका दिया है. मलेशिया
ने चीन की 3 बड़ी परियोजनाओं को रद्द कर दिया है जिसमें ईस्ट कोस्ट रेल
लिंक
परियोजना भी शामिल है. अरबों डॉलर की रेलवे लाइन मलेशिया के पूर्वी तट को
राजधानी कुआलाम्पुर और थाइलैंड से जोड़ता. यह रेलवे लिंक चीन के लिए एशिया
के बाहर के बाजारों में पहुंच के लिए व्यापारिक मार्ग भी होता.

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620 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बनाने का काम चीन की
चाइना कम्युनिकेशन कंस्ट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया था. इस परियोजना की 85
फीसदी फंडिंग 'एक्सपोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना' कर रहा था. इस परियोजना
का कार्य कर रही कंपनी मलेशिया रेल लिंक ने इस बात की पुष्टि
की है कि उसने चीनी कंस्ट्रक्शन फर्म्स को बुधवार को काम रोकने का आदेश
दिया है.

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मलेशिया के वित्त मंत्री ने कहा था कि चीन समर्थित
इस परियोजना की लागत 81 अरब मलेशिया रिंगित (20 अरब डॉलर) है जो कि
अनुमानित लागत से बहुत ज्यादा है. वित्त
मंत्री के यह बयान देने के एक दिन बाद ही मलेशिया ने यह कदम उठाया.

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मलेशिया स्टेट न्यूज एजेंसी बरनामा के अनुसार, परियोजना की वित्तीय स्थिरता
के लिए लिहाज से इसकी लागत कम होनी चाहिए थी. ईस्ट कोस्ट रेल लिंक
परियोजना रद्द करना इस बात का संकेत भी है कि मलेशिया के नए नेता महातिर
मोहम्मज चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के अपने वादे को पूरा करने की तरफ आगे
बढ़ रहे हैं.

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रिसर्च फर्म गैवेकल के मुताबिक, उनके पूर्ववर्ती नजीब रज्जाक चीन के बेल्ट
और रोड इनिशिएटिव (BRI) के बड़े समर्थक थे. बीजिंग की एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक
बंदरगाहों, रेल नेटवर्क और अन्य परियोजनाओं में अरबों डॉलर निवेश करने की
योजना है. नजीब रज्जाक के कार्यकाल के दौरान चीन के बेल्ट रोड एंड इनिशिएटिव के तहत
34 अरब डॉलर के इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर हस्ताक्षर किए गए थे.

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महातिर बीजिंग के साथ हुए समझौतों पर फिर से मोल-तोल करना चाहते हैं.

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कई विशेषज्ञों को डर है कि चीन बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के तहत छोटे देशों
को कर्ज के ढेर पर खड़ा कर रहा है जिससे चीन कई देशों के महत्वपूर्ण मूलभूत
ढांचों पर नियंत्रण स्थापित करने और कई अहम रणनीतिक फैसलों को प्रभावित
करने की स्थिति में आ जाएगा.

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श्रीलंका में पहले ही चीन ऐसा कर चुका है. कर्ज में डूबे श्रीलंका ने
हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 सालों के लिए लीज पर दे दिया था. नैशनल
यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर फेलो जोहान सरवनमुट्टु के मुताबिक, ईस्ट कोस्ट रेल
लिंक परियोजना को रोककर मलेशिया इस तरह की स्थिति में फंसने से खुद को बचा
सकता है.

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यह परियोजना चीन के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी अहम थी. यूरेशिया ग्रुप के
एशिया डायरेक्टर पीटर ममफोर्ड ने कहा, मलेशिया की सभी परियोजनाओं में ये
बेल्ट ऐंड रोड से सबसे ज्यादा करीब से जुड़ी हुई है इसीलिए बीजिंग इस
परियोजना के लिए सबसे ज्यादा परेशान होगा. महातिर एडवाइजरी काउंसिल ने
परियोजना के निलंबन पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

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मलेशिया में सबसे ज्यादा निवेश चीन करता है. पिछले साल कुल 54.7 बिलियन
रिंगित (13.52 अरब डॉलर) FDI में चीन का 7 फीसदी योगदान था. महातिर ने सत्ता में आने से पहले
ही वादा किया था कि वह देश में चीन की परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे.

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महातिर ने कार्यभार संभालने के बाद सबसे पहले जापान
का दौरा किया था. इस दौरे से पहले महातिर ने कहा था- "हम चीन के साथ
दोस्ताना रवैया जारी रखेंगे लेकिन हम चीन के कर्ज तले नहीं दबना चाहते हैं.
महातिर बड़े दायरे में जाकर सोच रहे हैं. वह मलेशिया के साथ-साथ दूसरे
क्षेत्रीय खिलाड़ियों के चीन के साथ रिश्ते पर नजर रख रहे हैं. महातिर ने
टोक्यो में कहा था, हमें चीन को डील करना ही होगा चाहे हम इसे पसंद करें या
फिर नहीं."

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एक इंटरव्यू में महातिर ने श्रीलंका का उदाहरण देते
हुए उसे एक ऐसा देश बताया था जिसने अपनी बहुत सारी जमीन खो दी क्योंकि वह
चीन को कर्ज नहीं लौटा पाया. महातिर ने कहा था, "बहुत से लोग चीनी निवेश को
पसंद नहीं करते हैं. हम यहां पर मलेशियाई लोगों के लिए हैं और मलेशियाई
लोगों के हितों की रक्षा करना चाहते हैं. हम अपने देश के हिस्सों को शहरों
का विकास करने वाली विदेशी कंपनियों को नहीं बेच सकते हैं."

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ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में महातिर ने कहा था कि
चीनी निवेश का स्वागत है लेकिन शर्त ये है कि कंपनियों को मलेशिया में काम
करना होगा, यहां के लोगों को काम देना होगा और मलेशिया में पूंजी और तकनीक
लानी होगी. महातिर ने आगे कहा कि लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है और हमें
निवेश से कुछ भी हासिल नहीं होता है. इस तरह के निवेश का हम स्वागत नहीं
करते हैं.

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महातिर की टिप्पणी चीनी निवेश के डर को जाहिर करती
है जो ऑस्ट्रेलिया से लेकर श्रीलंका तक राजनीतिक तनाव पैदा कर चुका है.
जहां अधिकतर देश एक तरफ भारी-भरकम चीनी निवेश को हाथों-हाथ लेने को तैयार
हैं, वहीं अंदर ही अंदर उन्हें चीन पर पूरी तरह निर्भर हो जाने का डर भी
सता रहा है.

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मलेशिया में भी चीन के निवेश ने देश की संप्रभुता
और आर्थिक असमानता के लिए चिंता पैदा कर दी है. महातिर ने काउंट्री गार्डेन
होल्डिंग लिमिटेड का उदाहरण देते हुए बताया कि जोहर राज्य में कंपनी 100
अरब डॉलर का निवेश करेगी जिनकी कीमत 258,000 डॉलर से ऊपर होगी, जबकि
मलेशिया की 2016 में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 62,736 रिंगित (15507
डॉलर) ही थी.उन्होंने कहा, 'हमारे यहां इतने समृद्ध लोग नहीं है कि वे इतने
महंगे फ्लैट खरीद सकें इसका मतलब ये हुआ कि हम यहां विदेशियों को बुलाने
का इंतजाम कर रहे हैं, कोई भी देश अपने यहां बड़ी संख्या में विदेशियों की
एंट्री नहीं चाहता है.'
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