उस
दौर में कश्मीर के जो मुसलमान उन पाकिस्तानी कबायलियों के साथ मिल गए वो
तो महफूज़ रहे. मगर जो खिलाफ थे उन्हें कबायलियों ने मौत के घाट उतार दिया.
मुल्क का नक्शा बदलने की इस जंग में घाटी खून से लाल हो गई.

शम्स ताहिर खान [Edited by: परवेज़ सागर]
नई दिल्ली, 15 अगस्त 2018, अपडेटेड 14:34 ISTआज से 71 साल पहले भारत को गुलामी से आजादी तो मिली लेकिन देश के दो टुकड़े भी हो गए. भारत से कटकर मुस्लिम बाहुल्य देश पाकिस्तान बना जिससे हमेशा रिश्ते तल्ख ही रहे. कश्मीर में घुसपैठ हो या आतंकी हमलों को अंजाम देना, इन सभी के पीछे किसी ने किसी रूप में पाकिस्तान का हाथ रहा है. 71 साल पहले जो लकीर अमन और शांति के मकसद से खींची गई थी आज उसी लकीर के पार जाकर हमारी सेना को सर्जिकल स्ट्राइक तक करनी पड़ी.
बात 72 साल पुरानी है. पाकिस्तान नया-नया बना था. एक तरफ हिंदुस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान और बीच में ज़मीन का एक छोटा सा टुकड़ा... कश्मीर. एक आजाद रियासत. तभी 72 साल पहले अचानक एक रात मोहम्मद अली जिन्ना ने कबायलियों को मुजाहिदीन का खिताब देकर उन्हें कश्मीर पर हमला करने भेज दिया. कहानी वहीं से शुरू होती है.
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