राफेल
डील में अनिल अंबानी समूह को हजारों करोड़ का फायदा पहुंचाने का आरोप
लगाते हुए राहुल गांधी लगातार हमलावर रहे हैं. अनिल अंबानी ने पहले एक लेटर
लिखकर जवाब दिया था. अब उन्होंने दूसरा लेटर लिखकर आरोपों का बिंदुवार
जवाब दिया है.

राहुल श्रीवास्तव [Edited by: दिनेश अग्रहरि]
नई दिल्ली, 21 अगस्त 2018, अपडेटेड 11:08 IST
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी और उनकी सरकार को घेरने की कोशिश करते रहे हैं. उन्होंने इस सौदे से अनिल अंबानी
की कंपनी को हजारों करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.
लेकिन अनिल अंबानी ने अब राहुल को दूसरा लेटर लिखकर यह दावा किया है कि
'कुछ निहित स्वार्थी तत्वों और कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वियों ने कांग्रेस को गलत जानकारी दी है तथा उसे गुमराह किया है.'
पिछले हफ्ते राहुल गांधी को भेजे गए लेटर में अनिल
धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) के मुखिया अनिल अंबानी ने राहुल गांधी द्वारा
लगाए गए एक-एक आरोप का बिंदुवार जवाब दिया है. लेटर में अनिल अंबानी ने
अपने और कंपनी के ऊपर किए जा रहे हमलों पर गहरी पीड़ा का इजहार किया है.
गौरतलब है कि इसके पहले अनिल अंबानी ने 12 दिसंबर, 2017
को राहुल गांधी को पहला लेटर लिखा था. उस लेटर में उन्होंने तर्क दिया था
कि रिलायंस समूह को यह सौदा इसलिए मिला क्योंकि उसके पास डिफेंस शिप बनाने
का अनुभव था.
रिलायंस-दसॉ के JV द्वारा कोई निर्माण नहीं
अनिल अंबानी द्वारा राहुल गांधी को लिखे दूसरे लेटर में
कहा गया है कि सभी आरोप निराधार, गलत जानकारी पर आधारित और दुर्भाग्यपूर्ण
हैं. अनिल अंबानी ने कहा, 'राफेल लड़ाकू विमान का निर्माण रिलायंस या दसॉ
रिलायंस के संयुक्त उद्यम द्वारा नहीं किया जा रहा. सभी 36 विमानों का 100
फीसदी निर्माण फ्रांस में किया जाएगा और फ्रांस से उनका भारत को निर्यात
किया जाएगा.
राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि एडीएजी समूह
का लड़ाकू विमान निर्माण में कोई अनुभव न होने के बावजूद उसे 45,000 करोड़
रुपये का फायदा पहुंचाया गया. इसके जवाब में अनिल अंबानी ने कहा, '36
राफेल विमानों के लिए भारत में खरीद जाने वाले एक रुपये के भी, एक भी
कम्पोनेंट का निर्माण रिलायंस द्वारा नहीं किया जाएगा.'
अंबानी ने कहा, 'हमारी भूमिका ऑफसेट निर्यात और अन्य
निर्यात जवाबदेही तक सीमित है. इसमें BEL और DRDO जैसी सार्वजनिक कंपनियों
के अलावा 100 से ज्यादा मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम (MSME) शामिल होंगे.
इससे भारत की विनिर्माण क्षमता मजबूत होगी और यह खुद 2005 से यूपीए सरकार
द्वारा चलाई जा रही ऑफसेट नीतियों के अनुरूप ही है.'
मनगढ़ंत अनुमान
अनिल अंबानी ने कहा, 'रक्षा मंत्रालय ने रिलायंस समूह
की किसी भी कंपनी को 36 राफेल विमानों के बारे में कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं
दिया है और यह कहना कि रिलायंस को हजारों करोड़ रुपये का फायदा होने जा रहा
है, असल में कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाई गई मनगढ़ंत परिकल्पना
है. भारत सरकार के साथ हमारा कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं हुआ है.'
पहले ही हो गया था कंपनी का गठन
इस आरोप पर कि साल 2015 में राफेल सौदे की घोषणा से 10
दिन पहले ही रिलायंस डिफेंस का गठन हुआ था, अंबानी ने कहा, 'रिलायंस समूह
ने दिसंबर 2014-जनवरी 2015 में ही डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में उतरने की
घोषणा कर दी थी. फरवरी 2015 में हमने बस भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों को यह
बताया कि कंपनी का गठन कर लिया गया है.'
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