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मूल के प्रसिद्ध लेखक नायपॉल को साल 1971 में बुकर प्राइज़ और साल 2001
में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.ए बेंड इन द
रिवर' और 'अ हाउस फ़ॉर मिस्टर बिस्वास' उनकी चर्चित कृतियां हैं.

aajtak.in [Edited by: वरुण शैलेश]
लंदन, 12 अगस्त 2018, अपडेटेड 08:17 IST
साहित्य
का नोबल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक वीएस नायपॉल का
रविवार तड़के निधन हो गया है. उन्होंने 85 साल की उम्र में लंदन स्थित अपने
घर में आखिरी सांस ली. बता दें कि वीएस नायपॉल यानी विद्याधर सूरज प्रसाद
नायपॉल का जन्म 17 अगस्त सन 1932 को ट्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था.
त्रिनिडाड में पले-बढ़े नायपॉल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल से पढ़ाई की
थी. लेखन की दुनिया में उन्हें काफी प्रसिद्धि हासिल है. ए बेंड इन द रिवर
और अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास उनकी चर्चित कृतियां हैं.गौरतलब है कि नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज़ और साल 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी ज़िंदगी जी. आखिरी वक्त में वे तमाम लोग जिन्हें वह प्यार करते थे, उनके साथ थे.' नायपॉल ने अपने साहित्य जीवन में 30 से ज्यादा किताबों का लेखन किया था.
नायपॉल की कलम ने जब मचाई हलचल
केवल अपनी कलम के दम पर पूरी दुनिया को झकझोर देने का
माद्दा रखने वाले लेखकों में नायपॉल की गिनती पहली पंक्ति में की जाती है.
उन्होंने लेखन के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया है. उन्हें बुकर पुरस्कार और
साहित्य का नोबुल पुरस्कार भी मिल चुका है. उनकी कृतियों में उनके
क्रांतिकारी विचारों की झलक मिलती है.
ट्रिनिडाड में बस थे गए पूर्वज
नायपॉल के पूर्वज ट्रिनिडाड गए थे और बाद में वहीं बस
गये. उन्होंने कई पुस्तकें, यात्रा-वृतांत और निबंध लिखे हैं, जिनसे
उन्हें ख्याति मिली. उनकी शिक्षा-दीक्षा इंग्लैंड में हुई. वे इंग्लैंड
में ही रहते थे. उन्होंने दुनिया के अनेक देशों की कई यात्राएं की. कई
मौके ऐसे भी आए जब वह विवादों में गिर गए.
साहित्य की दुनिया में योगदान
साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें अब तक
कई पुरस्कर मिल चुके हैं. वर्ष 2008 में द टाइम्स ने 50 महान ब्रिटिश
लेखकों की सूची में नायपॉल को 7वां स्थान दिया था. खास बात तो यह थी कि इस
लिस्ट में 1945 से बाद की कृतियों को जगहों दी जानी थी. नायपॉल की कुछ
उल्लेखनीय कृतियां हैं: इन ए फ्री स्टेट (1971), ए वे इन द वर्ल्ड
(1994), हाफ ए लाइफ (2001), मैजिक सीड्स (2004).
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1950 में उन्होंने एक सरकारी
स्कॉलरशिप जीती. इसके जरिये उन्हें मनचाही कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में
दाखिला मिल सकता था लेकिन उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला
लेना उचित समझा. नायपॉल की पहली किताब 'द मिस्टिक मैसर' साल 1951 में
प्रकाशित हुई थी. अपने सबसे चर्चित उपन्यास ए हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास को
लिखने में उन्हें तीन साल से ज़्यादा वक्त लगा.
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