Tuesday, July 17, 2018

आशिक मिजाज गैंगस्टर बाबा की लव स्टोरी, दो सगी बहनों को कर रहा था डेट

गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह दाहा उर्फ बाबा गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह दाहा उर्फ बाबा
मनजीत सहगल [Edited by: मुकेश कुमार गजेंद्र]
चंडीगढ़, 17 जुलाई 2018, अपडेटेड 19:31 IST

पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश में आतंक फैला रहे गैंगस्टर न केवल संचार के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि दहशत फैलाने के लिए जमकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. 9 जुलाई को जिंदा पकड़े गये खूंखार गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह दाहा उर्फ बाबा ने खुलासा किया है कि वह वाइफाई के जरिए वॉट्सएप कॉल करता था, ताकि पुलिस को उसका पता न चल सके. गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह दाहा उर्फ बाबा को एक एनकाउंटर के बाद पकड़ा गया था.
जानकारी के मुताबिक, बाबा आजकल पैसों की तंगी झेल रहा है. एनकाउंटर वाले दिन खुद ही वसूली पर निकाला था, लेकिन इसी बीच मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उसे धर दबोचा. उसे दरअसल एक ड्रग स्मगलर ने ही पकड़वाया था. दिलप्रीत ने फिरौती, ड्रग स्मगलिंग और गैरकानूनी हथियारों के पैसे इकट्ठे करने और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए बकायदा पढ़े-लिखे गुर्गों को काम पर लगा रखा था. पंजाब के कई गैंगस्टर की सोशल मीडिया पर लाखों फैन फॉलोइंग है.
गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह के दो गुर्गों की गिरफ्तारी के बाद कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ से हिरासत में लिए गए एक गुर्गे विपिन कुमार ने पुलिस को बताया है कि उसके पास एमबीए की डिग्री है. वह लगभग एक साल से बाबा के लिए काम कर रहा था. उसका काम गैंगस्टर द्वारा धमकाए गए लोगों से पैसा एकत्र करना और उसका फेसबुक पेज मैनेज करना था. विपिन ने अप्रैल में पंजाबी गायक परमीश वर्मा पर हुए हमले के बाद उस फेसबुक पोस्ट किया था.
विपिन कुमार ने पुलिस को बताया कि दिलप्रीत से उसकी मुलाकात पंजाब की जेल में बंद एक गग्गू नाम के अपराधी ने करवाई थी. इसके बाद उसने गैंगस्टर के लिए काम करना शुरू कर दिया था. उसका काम गैंगस्टर द्वारा धमकाए गए लोगों से प्रोटेक्शन मनी जमा करना था. वह अब तक गैंगस्टर को 6.50 लाख रुपये दे चुका था. पुलिस ने परमीश वर्मा पर हुए हमले के बाद हिमाचल प्रदेश के बद्दि से दिलप्रीत के एक और गुर्गे 26 वर्षीय हरविंदर सिंह उर्फ हैपी को गिरफ्तार किया था.

गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह ने पुलिस को बताया कि वह और उसके साथी हॉलीवुड की फिल्में खासकर क्राइम थ्रिलर देखना पसंद करते थे. क्राइम सीक्वेंस को वह असली जिंदगी में फिरौती, हत्या, चोरी, डकैती और स्मगलिंग के वक्त इस्तेमाल करते थे. दिलप्रीत को सोशल मीडिया पर मिलने वाले कमेंट्स बहुत पसंद थे. वह अक्सर अपना भेष बदलकर फेसबुक लाइव भी करता था. पुलिस को उसकी गाड़ी से एक नकली दाढ़ी-मूछ भी बरामद हुई है. वह पंजाब के लोगों को नशे से दूर रहने की हिदायत देता था.
दो सगी बहनों को डेट कर रहा था बाबा
रंगीन मिजाज गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह दाहा उर्फ बाबा एक ही समय में दो औरतों को डेट कर रहा था, जो रिश्ते में सगी बहनें हैं. वह सबसे पहले साल 2016 में 42 साल की विधवा हरप्रीत कौर के संपर्क में आया था, जो पंजाब के नवांशहर में एक बुटीक चलाती है. लेकिन कुछ समय बाद हरप्रीत की 38 वर्षीय छोटी बहन रुपिंदर कौर पर उसका दिल आ गया. रुपिंदर कौर तलाकशुदा थी. दिलप्रीत के संपर्क में आने के बाद वह लुधियाना से मोहाली आ गई थी.
गर्लफ्रेंड को गिफ्टी की थी महंगी कार
दिलप्रीत ने मोहाली में मकान लेते समय मकान मालिक से को खुद का परिचय गगनदीप सिंह के तौर पर दिया था. वह पिछले 4 महीनों से मोहाली में रुपिंदर कौर और उसके दो बच्चों के साथ रह रहा था. उसने नशे के कारोबार से इकट्ठे किए पैसे से रुपिंदर कौर को एक निशान टेरेनो गाड़ी भी गिफ्ट में दी थी. दिलप्रीत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसकी दोनों गर्लफ्रेंड्स को भी गिरफ्तार किया है. उनकी गिरफ्तारी के बाद हरप्रीत कौर के नवांशहर घर से पुलिस को भारी मात्रा में हथियार और नशीले पदार्थ मिले हैं.

बरामद की गई चीजों में एक पंप एक्शन राइफल, एक पिस्टल, 40 कारतूस और एक किलो हेरोइन, कुछ सेक्स टॉनिक और दूसरी आपत्तिजनक चीजें मिली हैं. पुलिस ने दिलप्रीत की गर्लफ्रेंड के घर से गाड़ियों की 13 जाली नंबर प्लेट्स, जिनमें से 6 पंजाब, 3 हरियाणा, 2 हिमाचल और 2 महाराष्ट्र के वाहनों की हैं. दिलप्रीत 9 जुलाई को एनकाउंटर से पहले जिस स्विफ्ट डिजायर गाड़ी को चला रहा था, वह हरियाणा के नारायणगढ़ से चुराई गई थी.

दिलप्रीत की गर्लफ्रेंड हरप्रीत ने पुलिस को बताया कि वह नशे का आदी है. अक्सर ड्रग ओवरडोज के बाद अपना आपा खो देता था. गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले ही उसने नशे की ओवरडोज के बाद हरप्रीत पर गोली चलाई थी, जो निशाना चूकने के कारण ड्रेसिंग टेबल पर लगी. वह बाल-बाल बच गई. इसके बाद वह फर्श पर लुढ़क गया और उसे मोहाली के अस्पताल में लाया गया, जहां से उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया. वह नाम बदल कर अस्पताल में भर्ती रहा, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी.
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