ब्रिक्स सम्मेलन में भारत उठाएगा सीमा पार से आतंकवाद का मुद्दा, ड्रैगन पर होगी नजर
Publish Date:Mon, 02 Jul 2018 12:37 PM (IST)
दक्षिण
अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में सीमा पार से
किया जा रहा आतंकवाद भारत का मुख्य एजेंडा हो सकता है।
नई दिल्ली [ जेएनएन ]। केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य
राज्यमंत्री सीआर चौधरी आज दक्षिण अफ्रीका रवाना होंगे। चौधरी 4 व 5 जुलाई
को आयोजित दो दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में सीमा
पार से किया जा रहा आतंकवाद भारत का मुख्य एजेंडा हो सकता है।
इस सम्मेलन में ब्रिक्स संगठन के सदस्य देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन व
साउथ अफ्रीका के व्यापार व उद्योग मंत्री भाग लेंगे। ब्रिक्स व्यापार
मंत्रियों के सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भविष्य में उद्योगों के विकास के
फलस्वरूप रोजगार सृजन की संभावनाओं के बारे में विचार करना रहेगा। चौथी
ओद्योगिक क्रांति के तहत तकनीकी रूप से युवाओं को सक्षम बनाना और भविष्य
में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए नवीन रोजगार स्त्रोतों की खोज व
पहचान करना है। ब्रिक्स देशों के इस मंत्रियों के सम्मेलन में व्यापार,
वाणिज्य, उद्योगों की स्थापना आदि मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
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पीछेले सप्ताह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की डरबन यात्रा के
बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद प्रमुख
एजेंडा होगा। डोभाल ने डरबन में मजबूती से भारत का पक्ष रखते हुए कहा था कि
सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को रोकने के लिए आवश्यक प्रयास नहीं किए जा
रहे हैं। उन्होंने अन्य ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सलाहकारों के साथ की
गई बैठक में कहा कि यह पता लगाने का रास्ता तलाशा जाना चाहिए कि आखिर
आतंकवाद की नर्सरी चला रहे देशों ने अपनी धरती से उनके खात्मे के प्रयास
किए हैं या नहीं।
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पिछले वर्ष हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की बड़ी कामयाबी यह थी कि
उसके घोषणापत्र में आतंक के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया गया था। यह सब रूस की मदद से
हो पाया था। 2016 में गोवा में हुए सम्मेलन में चीन के विरोध के बाद इन
समूहों का नाम नहीं लिया जा सका था। भारत ने इस साल ब्रिक्स की तैयारी
बैठकों में भी घोषणापत्र में लश्कर और जैश का नाम लिए जाने पर जोर दिया है।
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हालांकि, जियामेन घोषणापत्र जल्द ही दिसंबर 2017 में आरआईसी (रूस, भारत,
चीन) की संयुक्त समिति द्वारा उलट दिया गया। इसमें इन्हीं समूहों के नाम
का जिक्र नहीं था। हालांकि, इसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और आतंकवादी
संगठनों के खिलाफ निर्णायात्मक कदम उठाने की बात कही गई थी।
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क्या है ब्रिक्स
ब्रिक्स की स्थापना की पहल 2006 में चार देशों- ब्राज़ील, रूस, भारत तथा
चीन द्वारा की गई थी। इन्ही देशों के नाम के पहले अक्षरों के आधार पर इसका
BRIC (ब्रिक) नाम रखा गया। बाद में 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल हो
जाने के बाद इसका वर्तमान नाम BRICS (ब्रिक्स) हो गया। BRICS अर्थात
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका विश्व के ऐसे पांच देशो का
संगठन है, जिन्हें विश्व की उभरती हुई आर्थिक शक्तियां की संज्ञा दी जाती
है। ब्रिक्स देशो का पहला शिखर सम्मलेन 2009 में आयोजित किया गया था,
लेकिन इसकी शुरुआत 2006 में हुई थी।
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