Tuesday, July 24, 2018

SerialKillers : पुलिसकर्मी के रेप व मर्डर के बाद पकड़ में आया था ये कातिल

एक ऐसे सीरियल किलर की कहानी जिसने तमिलनाडु सहित पूरे दक्षिण भारत की पुलिस की नाक में दम कर रखा था. 30 रेप और 15 हत्याओं के मामले में आरोपी यह सीरियल किलर दो बार जेल से भागा. एक पुलिसकर्मी ने तो इस कातिल के कारण खुदकुशी कर ली थी.

 
Updated: July 21, 2018, 2:14 PM IST
देश दुनिया के सीरियल किलर्स #SerialKillers पर आधारित इस विशेष वीकेंड सीरीज़ में आप पिछले 5 सप्ताह में कई सनसनीखेज़ कहानियां पढ़ चुके हैं. इस हफ्ते पढ़िए उस सीरियल किलर की कहानी, जो 13 हत्याओं और करीब 30 बलात्कारों का आरोपी रहा. इसकी वजह से एक पुलिस वाले ने खुद को गोली मारी थी तो इसने एक महिला पुलिसकर्मी को भी अपना शिकार बनाया था.

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23 अगस्त 2009 : कोयंबटूर से करीब 50 किलोमीटर दूर पेरुमनल्लूर में राजनीतिक एमके स्टालिन की सभा होने वाली थी. सभा के बंदोबस्त के इंतज़ाम चल रहे थे और पुलिस बल तैनात किया गया था. राजनीतिकों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात की जा रही थी लेकिन उस दिन एक नयी कहानी सामने आने वाली थी क्योंकि एक पुलिस कॉंस्टेबल एक खतरनाक जुर्म की शिकार होने वाली थी.

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सभा के लिए बंदोबस्त किया जा रहा था. आला अफसर निर्देश दे रहे थे और जूनियर पुलिसकर्मी इधर उधर दौड़ धूप कर रहे थे. बैरिकेड्स लगाए जा रहे थे, लोगों के बैठने के लिए इंतज़ाम किया जा रहा था, सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा था और सभा में शामिल होने वाले लोगों की जांच के लिए व्यवस्था हो रही थी. महिलाओं की सुरक्षा के लिए अलग से इंतज़ाम हो रहा था और इसके लिए महिला पुलिस भी इस बंदोबस्त में शामिल थी. कुछ लोगों का आना शुरू हो गया था.

आने वाले लोगों में एक आदमी था जो साधारण शर्ट पेंट पहने था और उसके कंधे पर काले रंग का एक बैग था. वह सभा में लोगों के बैठने की जगह पर न जाकर पूरे सभास्थल को देख रहा था. सभास्थल के आसपास का जायज़ा ले रहा था और वह अपनी धुन में एक तरफ चला गया. इसी बीच, 39 वर्षीय महिला कॉंस्टेबल जयामणि को एक फोन करना था और फ्रेश होना था इसलिए वह सभा की जगह से कुछ दूर बने वॉशरूम की तरफ गई.

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पेरुमनल्लूर सैटेलाइट नक्शा.


#SerialKillers: खुद को 'सुपरमैन' और 'भगवान' समझने लगा था यह कातिल

कुछ तंबुओं के पीछे यह ऐसी जगह थी जहां कोई चहल—पहल नहीं थी. जयामणि बाथरूम गई और फ्रेश होने के बाद जैसे ही बाथरूम से निकली तो पीछे से उसके सर पर एक ज़ोरदार चोट हुई और वह लड़खड़ा सी गई. हमलावर ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंसा और उसके हाथ बांध दिए. यह सब उसने बड़ी फुर्ती से किया इसलिए जयामणि को न तो चीखने का मौका मिला और न ही कोई विरोध करने का. इसके बाद लगभग बेहोशी की हालत में हमलावर किसी तरह खींचकर जयामणि को पास खड़ी मोटरसाइकिल तक ले गया.

किसी तरह उसने जयामणि को मोटरसाइकिल पर बिठाया और एक कपड़े से उसे अपने साथ बांध लिया. मोटरसाइकिल से वह जयामणि को एक सुनसान इलाके में बनी एक छोटी सी झोपड़ी में ले गया. जयामणि को कुछ होश आया तो उसने देखा कि वह एक झोपड़ी में फर्श पर पड़ी हुई है और पीठ पीछे उसके दोनों हाथ और एक साथ दोनों पैर बंधे हुए हैं. जयामणि चीखना चाह रही थी लेकिन मुंह में ठूंसे गए कपड़े की वजह से उसकी आवाज़ ज़्यादा तेज़ निकल नहीं पाई.

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इस झोपड़ी में जब हमलावर दाखिल हुआ तो करीब एक मिनट तक जयामणि को बड़ी बड़ी आंखें निकालकर देखता रहा. जयामणि घबराने लगी थी और लगातार चीखने की कोशिश कर रही थी. अब वह जयामणि के पास आकर बैठा और बोला — 'चिल्लाना है? यहां कौन सुनेगा तेरी आवाज? ले चिल्ला ले.' और यह कहकर उसने जयामणि के मुंह से कपड़ा निकाल लिया. चार—छह बार चीखने के बाद जयामणि को समझ आ गया कि यह जगह आबादी से दूर है इसलिए चीखने का कोई फायदा नहीं.

अब जयामणि ने पूछा — 'कौन हो तुम? क्या चाहते हो?' उस हमलावर ने तिरछी हंसी के साथ कहा — 'मैं शंकर. और मैं तुझे चाहता हूं.' अब जयामणि को यकीन हो चुका था कि उसके साथ ज़बरदस्ती होने वाली है. वह छूटने की कोशिश में छटपटा रही थी और शंकर उसे देखकर खुश हो रहा था. इसके बाद जैसे शंकर ने जयामणि के कपड़े खींचने शुरू किए, उसने चीखना शुरू कर दिया लेकिन वहां उसकी चीखें सुनने वाला कौन था.

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